आप सब जानते हैं कि विश्व के आदि काव्य का सृजन एक घटना से द्रवित होकर महर्षि वाल्मीकि ने किया । जिसके फलस्वरूप एक महान विश्वकोश एवं काव्यों के स्रोत श्रव्य काव्य रामायण की रचना हुई तथा समाज को मर्यादाओं की पराकाष्ठा मिली । इस आदि काव्य ने भारतीय समाज की सामाजिक मर्यादाओं की पराकाष्ठाओं को ही नहीं छुआ वरन् भारतीय जनमानस का अंतर्मन भी छुआ ।
श्री रामसरन दास भ्याना मेमोरियल ट्रस्ट का जन्म भी ठीक उसी तरह हृदय द्रवण से हुआ । यह ट्रस्ट सामाजिक मर्यादाओं की पराकाष्ठाओं को छूने का प्रयास कर रहा है ।